🖍🖍ब्राह्मण 🖍🖍
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शायद आप लोग किसी दी
न हीन भिक्षा माँगने वाले को ही ब्राह्मण समझते हैं ।
मैं बताता हूं , ब्राह्मण क्या है ।
1 अकेला परशुराम 21 बार पूरी पृथ्वी को क्षत्रिय विहीन कर देता है ।।
वो ब्राह्मण ।।
1 अकेला केवल टिटहरी के अण्डे दिलाने के लिए 3 आचमन में ही पूरा समुद्र पी जाये ।।
वो ब्राह्मण ।।
जिस परीक्षित को स्वयं भगवान ने गर्भ में ब्रह्मास्त्र से बचा लिया था ।। उसे जिसके श्राप से कोई भी नहीं बचा पाया ।।
वो ब्राह्मण ।।
जिस द्वारका और यदुवंश का ,प्रलय करने वाले शंकर की शक्ति भी कुछ नहीं बिगाड़ पाई ।। उस यदुवंश को जिसने अपने श्राप से नष्ट कर दिया ।।
वो ब्राह्मण ।।
जिस की मारी गई ठोकर का चिन्ह विष्णु की छाती पर विद्यमान है ।।
वो ब्राह्मण ।।
जो ब्रह्म को जानता है ।।
वो ब्राह्मण ।।
जो स्वर्ग पृथ्वी और पाताल इन तीनों लोको का स्वामी है ।।
वो ब्राह्मण ।।
किसी को पूरी तरह से बर्बाद होना हो ।। तो केवल इन सब बातों का केवल मन में ही विरोध करके आजमा ले ।।
ब्राह्मण किसी झण्डे या डण्डे या अन्य किसी का मोहताज नहीं है ।
उसकी वाणी ही उसका अस्त्र शस्त्र और कवच है ।।
वह ब्राह्मण ।।
यह केवल ब्राह्मण के पराक्रम के विषय में जानकारी है । उसके अन्य गुणों के विषय मैं नहीं ।।
ब्राह्मण को किसी का भी नाश करने के लिए किसी संगठन की जरूरत नहीं होती ।।
ब्राह्मण कौन है?
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ब्राह्मण जप से पैदा हुई शक्ति का नाम है,
ब्राह्मण त्याग से जन्मी भक्ति का धाम है।
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ब्राह्मण ज्ञान के दीप जलाने का नाम है
ब्राह्मण विद्या का प्रकाश फैलाने का काम है।
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ब्राह्मण स्वाभिमान से जीने का ढंग है,
ब्राह्मण सृष्टि का अनुपम अमिट अंग है।
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ब्राह्मण विकराल हलाहल पीने की कला है,
ब्राह्मण कठिन संघर्षों को जीकर ही पला है।
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ब्राह्मण ज्ञान, भक्ति, त्याग, परमार्थ का प्रकाश है,
ब्राह्मण शक्ति, कौशल, पुरुषार्थ का आकाश है।
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ब्राह्मण न धर्म, न जाति में बंधा इंसान है,
ब्राह्मण मनुष्य के रूप में साक्षात भगवान है।
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ब्राह्मण कंठ में शारदा लिए ज्ञान का संवाहक है,
ब्राह्मण हाथ में शस्त्र लिए आतंक का संहारक है।
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ब्राह्मण सिर्फ मंदिर में पूजा करता हुआ पुजारी नहीं है,
ब्राह्मण घर-घर भीख मांगता भिखारी नहीं है।
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ब्राह्मण गरीबी में सुदामा-सा सरल है,
ब्राह्मण त्याग में दधीचि-सा विरल है।
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ब्राह्मण विषधरों के शहर में शंकर के समान है,
ब्राह्मण के हस्त में शत्रुओं के लिए परशु कीर्तिवान है।
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ब्राह्मण सूखते रिश्तों को संवेदनाओं से सजाता है,
ब्राह्मण निषिद्ध गलियों में सहमे सत्य को बचाता है।
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ब्राह्मण संकुचित विचारधारों से परे एक नाम है,
ब्राह्मण सबके अंत:स्थल में बसा अविरल राम है।
✨✨✨✨✨✨✨🌹🌹जय परशुराम 🌹🌹
संकलनकर्ता : प्रवेश श्रीवास्तव 🙏🌹