मध्यप्रदेश में सरकार के एक वर्ष पूर्ण होने पर जन वेदनाओं को व्यक्त करती हुई यह प्रतिक्रिया........
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उम्मीदों का सारा सागर रीत गया
झूठ-झूठ में एक वर्ष भी बीत गया✍
हुई किसान से इतनी बेमानी है
भूपुत्रों की आँखों में बस पानी हैं✍
जो कुछ जैसा मिलता था वो मिला नहीं
सोयाबीन का बोनस तक तो मिला नहीं✍
गेंहू का अतिरिक्त मिला न दाम उन्हें
अंध भरोसा करने का परिणाम उन्हें✍
कष्ट है कितना सत्ता को अनुमान नहीं
मिला आपदा का भी कुछ नुकसान नहीं✍
हुई शुरू अब पुनः वही परिपाटी है
यूरिया के बदले में मिलती लाठी है✍
कांग्रेस की सत्ता का परिणाम हुआ
अब बिजली का आना जाना आम हुआ✍
हालत को अब बद से बदतर कर डाला
दाता को भी बैंक डिफाल्टर कर डाला✍
विज्ञापन की चकाचौंध सब मिथ्या है
भूपुत्रों की डेढ़ सौ आत्मा हत्या है✍
जो बोला था साफ साफ भी हुआ नहीं
पहला वादा कर्ज माफ भी हुआ नहीं✍
2....
वादा कम का दाम दूध के बढ़ा दिए
पेट्रोल पर बोझ वैट का चढ़ा दिए✍
स्कूटी बेटी को अब तक मिली नहीं
और पुलिस को छुट्टी कोई मिली नहीं✍
रेत वसूली पर निकला एक बाबा है
गौभक्ति तो केवल ढोंग दिखाबा है✍
कहते हैं कि आज खजाना खाली है
पर बंगलों पर आई नई दीवाली है✍
करके रक्खा तुमने मुश्किल जीना है
रसोई योजना के संग सम्बल छीना है✍
आत्ममुग्धता में डूबी यह सत्ता है
कहाँ गया अब बेरोजगारी भत्ता है?✍
माँ बहिनों का रक्षण तुमने किया नहीं
निर्धन को आरक्षण तुमने दिया नहीं✍
हर विकास जो होता था वो मन्द हुआ
छात्रों को लैपटॉप का मिलना बंद हुआ✍
रुका हुआ था दुस्साहस वो कुरु हुआ
फिर अपहरण उद्योग देख लो शुरू हुआ✍
राष्ट्रवादियों की होती हत्याएं हैं
रो-रो कर बतलाती ये अबलाएं हैं✍
अंत पाप का होगा सत्ता भूली है
व्यापारी से होती आज वसूली है✍
अतिथि शिक्षक भी वादे पर छले गए
निष्काषित कर्मी भी रोकर चले गए✍
जन मंशा को पढ़ पाई सरकार नहीं
महापौर चुनने का अब अधिकार नहीं✍
हर एक इरादा इनका कितना काला है
हार के भय से हर चुनाव को टाला है✍
भले काँग्रेस इस अवसर पर हरषी है
पर आज सुशासन की ये पहली वर्षी है✍
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🌹संकलन कर्ता : प्रवेश श्रीवास्तव : 8269953333🌹✍