सत्य की जाँच कर : शीघ्र कार्यवाही करें

उत्तराखंड से 200000 मुस्लिम बच्चे रातों-रात हो गए गायब, फिर सामने आयी वो खौफनाक सच्चाई, जिसे देख मोदी भी रह गए हैरान✍✍✍


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 *उत्तराखंड से 2,00,000 मुस्लिम बच्चे रातों-रात हो गए गायब,* फिर सामने आयी वो खौफनाक सच्चाई, *जिसे देख मोदी भी रह गए हैरान!* 


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नई दिल्ली : अभी हाल ही में पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा था कि देश के मुस्लिमों में बेचैनी का अहसास और असुरक्षा की भावना है. अभी-अभी आ रही एक बेहद सनसनीखेज खबर से साबित हो गया है कि आखिर हामिद अंसारी जैसे लोगों में असुरक्षा की भावना क्यों पनप रही है. खबर है कि उत्तराखंड में मदरसों में पढ़ने वाले करीब 2 लाख मुस्लिम बच्चे रातों-रात गायब हो गए हैं. पूरी खबर जान कर आपके पैरों तले भी जमीन खिसक जायेगी.


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दरअसल मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को पिछले कई दशकों से हर महीने सरकार की ओर से वजीफा यानी स्कॉलरशिप दी जा रही थी. लेकिन जैसे ही उत्तराखंड सरकार ने इन बच्चों के बैंक खातों को आधार नंबर से लिंक करने को कहा, तो एक साथ 1 लाख 95 हजार 360 बच्चे गायब हो गए. गायब हुए इन छात्रों के नाम पर अभी तक सरकार हर साल करीब साढ़े 14 करोड़ रुपये छात्रवृत्ति बांट रही थीं. जोकि अब घट कर केवल 2 करोड़ रह गयी है.


जानिये क्या है पूरा माजरा !


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दरअसल गायब हुए ये बच्चे कभी थे ही नहीं, बच्चो के झूठे नामों के आधार पर मदरसों द्वारा सरकार से पैसे लिए जा रहे थे. कांग्रेस की सरकार तो थी, तो जाहिर है कि लूट का माल नीचे से ऊपर तक बांटा जाता होगा वरना ऐसा कैसे हो सकता है कि कांग्रेस सरकार को इस घोटाले की भनक तक नहीं लगी और बीजेपी ने आते ही पता लगा लिया.


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तो इसलिए असुरक्षित हैं मुसलमान?


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ये तो अकेले उत्तराखंड का मामला है, अब आप खुद ही समझ सकते हैं कि जब सीएम योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश में मदरसों को अपना रजिस्ट्रेशन करवाने को कहा तो क्यों इतना हंगामा खड़ा कर दिया गया. इस बात से साबित हो गया है कि बीजेपी की सरकार आने के बाद से मुस्लिम खुद को क्यों असुरक्षित महसूस कर रहे हैं.


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2014-15 तक केवल उत्तराखंड में 2 लाख 21 हजार आठ सौ मुस्लिम छात्र सरकारी स्कॉलरशिप पा रहे थे. आधार से लिंक होते ही इनकी संख्या गिरकर केवल 26 हजार 440 रह गई. यानी लगभग 88 फीसदी मुस्लिम छात्रों की संख्या कम हो गई. ये वो स्कॉलरशिप है जो बीपीएल यानि बेहद गरीब परिवारों के छात्रों को दी जाती है. सरकार उल छात्रों के लिए भी प्रावधान लायी, जिनके पास आधार नहीं है. ऐसी छात्रों को भी स्कॉलरशिप का फायदा मिल रहा है, लेकिन इसके लिए उन्हें जिलाधिकारी से सत्यापन करवाना जरूरी है. लेकिन सत्यापन हो कैसे, जब वो छात्र हैं ही नहीं.


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फर्जी मदरसे, फर्जी छात्र, और सरकारी पैसों की लूट !


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फर्जी नामों के आधार पर बरसों से जनता के पैसों की लूट हो रही थी. ये तो कुछ भी नहीं, और सुनिए. छात्र तो छोड़िये, यहाँ तो कई मदरसे भी केवल कागजों पर चल रहे थे. असलियत में कई मदरसे थे ही नहीं और ना ही इनमे कोई छात्र पढ़ते थे. बस केवल फर्जी छात्रों के नाम भेजकर आराम से सरकारी फंड हासिल कर रहे थे.


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हैरत की बात तो ये है कि उत्तराखंड के 13 जिलों में से 6 जिलों में तो एक भी मुसलमान छात्र स्कॉलरशिप लेने नहीं आया. सबसे ज्यादा लूट हरिद्वार जिले में चल रही थी. इसके बाद ऊधमसिंहनगर, देहरादून और नैनीताल जिलों के नंबर आते हैं.


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जिले की आबादी से भी ज्यादा बच्चे ?


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अभी और सुनिए, कुछ जिलों में अब तक *जितने मुस्लिम छात्रों को स्कॉलरशिप दी जा रही थी, उतनी तो उन जिलों की कुल आबादी भी नहीं है.* जितनी आबादी नहीं है, उससे भी ज्यादा छात्रों के नाम पर मदरसे बरसों से जनता के पैसों की लूट कर रहे थे. *कांग्रेस तुष्टिकरण के चलते ये सब होने दे रही थी और शायद अपना कमीशन भी लेती हो.* 


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बीजेपी सरकार आने के बाद इस घोटाले पर नकेल कसनी शुरू कर दी गई, तो एकदम से हामिद अंसारी जैसों को असुरक्षित महसूस होने लगा. बहरहाल अब जिला प्रशासन को इस घोटाले के दोषियों की लिस्ट तैयार करने और उन पर कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं. मदरसे के लुटेरों की धर-पकड़ शुरू हो गयी है, अंदेशा है कि इन्हे सजा तो होगी ही, साथ ही इनसे लूटा हुआ पैसा भी निकलवाया जाएगा.


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यूपी में भी इसीलिए है सारी दिक्कत


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उत्तर प्रदेश में तो और भी काफी कुछ चल रहा है. सरकारी पैसों की लूट वहां भी ऐसे ही की जा रही है, साथ ही खुफिया एजेंसियों ने ये भी अलर्ट दिया है कि कई मदरसों में बच्चों को कट्टरपंथी शिक्षा भी दी जा रही है. इस तरह की गड़बड़ियों को देखते हुए सीएम योगी ने सभी मदरसों का रजिस्ट्रेशन जरूरी कर दिया है. राज्य में कई मदरसे बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहे हैं, उन्हें फंड कहाँ से आता है, इसकी किसी को कोई जानकारी तक नहीं है.


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इन मदरसों में क्या पढ़ाया जा रहा है, इस पर भी सरकार का कोई नियंत्रण नहीं होता. जबकि ऐसे छात्रों को लगातार अल्पसंख्यक कल्याण योजनाओं के तहत तमाम फायदे मिलते रहते हैं. *उत्तर प्रदेश सरकार राज्य में चल रहे लगभग 800 मदरसों पर प्रतिवर्ष 4000करोड़ रुपये खर्च करती है.* मगर हैरत की बात है कि इसका एक बड़ा हिस्सा छात्रों तक पहुंचने की जगह उन लोगों की जेब में जा रहा है, जिन्हें लेकर *हामिद अंसारी जैसे लोग परेशान हो रहे हैं.*ડ


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पूरा पढने के बाद इसे बहुत✍✍✍🌹🌹🌹✍✍✍


ग्रूपमे फॉरवर्ड करे ताकि देश की चुनाव में सबको मालूम हो कि बी जे पी कितना काम अच्छा करती है।


संकलन कर्ता : प्रवेश श्रीवास्तव : 8269953333


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