संत शिरोमणि श्री रविदास जी को नमन🙏
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
काशी में जन्म लेने वाले संत श्री रविदास जी ने समाज में व्याप्त कई बुराईयों पर अपनी रचनाओं के माध्यम से प्रहार किया। जब वे गंगा किनारे बैठ जूते बनाने में व्यस्त थे तब उन्हें कुछ लोगों ने गंगा स्नान करने चलने कहा। इस पर श्री रविदास जी ने कहा कि उन्हें किसी को समय पर जूते बनाकर देना है। गंगा स्नान करने गया तो विलम्ब को जायेगा। तभी श्री रविदास जी ने कहा कि " मन चंगा तो कठौती में गंगा।"
संत रविदास ने सिर्फ समाज और धर्म में व्याप्त बुराईयों से जंग नहीं लड़ी। उन्होंने निर्मम और बर्बर शासक सिकंदर लोदी के जबरिया धर्म परिवर्तन की मुहिम के खिलाफ भी संघर्ष किया था। संत रविदास का भारतीय संत समाज में व्यापक प्रभाव था। सिकंदर लोदी ने सदन नाम के कसाई को रविदास जी के पास धर्म परिवर्तन करवाने भेजा। प्रस्ताव लालच और बलपूर्वक दोनों ही तरह का था। लेकिन इसे श्री रविदास का प्रभाव ही कहें कि सिकंदर लोदी का दूत बनकर रविदास जी के पास गया सदन कसाई स्वयं वैष्णव पंथ अपनाकर विष्णु भक्ति में रम गया और रामदास के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
संत रविदास ने लिखा है कि;
"वेद धर्म सबसे बड़ा अनुपम सच्चा ज्ञान
फिर क्यों छोड़ इसे पढ़ लूँ सच्चा ज्ञान
वेद धर्म छोडूं नहीं कोशिश करो हजार
तिल-तिल काटो चाहे गला काटो कटार"
संत रविदास का धर्म परिवर्तन करवाने में असफल रहे सिकंदर लोदी ने संत रैदास की टोली को चमार या चांडाल घोषित कर दिया और उनसे मरे हुये पशुओं के निपटान का कार्य अत्याचारपूर्वक कराया जाने लगा।
कृष्ण को तलाश रही कृष्णा भक्त मीरा ने संत रविदास से प्रभावित होकर उन्हें अपना गुरु बनाया था।
देश-धर्म-समाज बिगड़ी दशा-दिशा सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले संत शिरोमणि श्री रविदास जी की आज जयंती है।
उनके श्री चरणों में शत्-शत् नमन। 🙏🌹👌🖍
संकलनकर्ता : प्रवेश श्रीवास्तव 8269953333✍🌹🙏