********महामारी*******
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एक बार एक राजा के राज्य में महामारी फैल गयी। चारो ओर लोग मरने लगे। राजा ने इसे रोकने के लिये बहुत सारे उपाय करवाये मगर कुछ असर न हुआ और लोग मरते रहे। दुखी राजा ईश्वर से प्रार्थना करने लगा। तभी अचानक आकाशवाणी हुई। आसमान से आवाज़ आयी कि हे राजा तुम्हारी राजधानी के बीचो-बीच जो पुराना सूखा कुंआ है अगर अमावस्या की रात को राज्य के प्रत्येक घर से एक – एक बाल्टी दूध उस कुएं में डाला जाये तो अगली ही सुबह ये महामारी समाप्त हो जायेगी और लोगों का मरना बन्द हो जायेगा।✍
राजा ने तुरन्त ही पूरे राज्य में यह घोषणा करवा दी कि महामारी से बचने के लिए अमावस्या की रात को हर घर से कुएं में एक-एक बाल्टी दूध डाला जाना अनिवार्य है! ✍
अमावस्या की रात जब लोगों को कुएं में दूध डालना था उसी रात राज्य में रहने वाली एक चालाक एवं कंजूस बुढ़िया ने सोंचा कि सारे लोग तो कुंए में दूध डालेंगे अगर मै अकेली एक बाल्टी "पानी" डाल दूं तो किसी को क्या पता चलेगा। इसी विचार से उस कंजूस बुढ़िया ने रात में चुपचाप एक बाल्टी पानी कुंए में डाल दिया। अगले दिन जब सुबह हुई तो लोग वैसे ही मर रहे थे।✍
कुछ भी नहीं बदला था क्योंकि महामारी समाप्त नहीं हुयी थी। ✍
राजा ने जब कुंए के पास जाकर इसका कारण जानना चाहा तो उसने देखा कि सारा कुंआ पानी से भरा हुआ है।✍
दूध की एक बूंद भी वहां नहीं थी।✍
राजा समझ गया कि इसी कारण से महामारी दूर नहीं हुई और लोग अभी भी मर रहे हैं।✍
दरअसल ऐसा इसलिये हुआ कि जो विचार उस बुढ़िया के मन में आया था वही विचार पूरे राज्य के लोगों के मन में आ गया और किसी ने भी कुंए में दूध नहीं डाला।✍
मित्रों , जैसा इस कहानी में हुआ वैसा ही हमारे जीवन में भी होता है।✍
जब भी कोई ऐसा काम आता है जिसे बहुत सारे लोगों को मिल कर करना होता है तो अक्सर हम अपनी जिम्मेदारियों से यह सोच कर पीछे हट जाते हैं कि कोई न कोई तो कर ही देगा और हमारी इसी सोच की वजह से स्थितियां वैसी की वैसी बनी रहती हैं।✍
अगर हम दूसरों की परवाह किये बिना अपने हिस्से की जिम्मेदारी निभाने लग जायें तो पूरे देश में भी ऐसा बदलाव ला सकते हैं जिसकी आज ज़रूरत है।.........✍️आज सलामत रहे तो कल की सहर देखेंगे✍
आज पहरे मे रहे तो कल का पहर देखेंगें ।✍
सासों के चलने के लिए कदमों का रुकना ज़रूरी है
घरों मेँ बंद रहना दोस्तों हालात की मजबूरी है ।✍
अब भी न संभले तो बहुत पछताएंगे
सूखे पत्तों की तरह हालात की आंधी मे बिखर जाएंगे ।✍
यह जंग मेरी या तेरी नहीं हम सब की है
इस की जीत या हार भी हम सब की है ।✍
अपने लिए नहीं अपनों के लिए जीना है
यह जुदाई का ज़हर दोस्तो घूंट घूंट पीना है ।✍
आज महफूज़ रहे तो कल मिल के खिलखिलाएँगे
गले भी मिलेगे और हाथ भी मिलाएंगे ।✍
संकलन कर्ता : प्रवेश श्रीवास्तव 8269953333🌹✍