🌹बर्बरीक दुनिया का सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर थे।🌹
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🌹बर्बरीक के लिए *तीन बाण ही काफी थे* जिसके बल पर वे *कौरवों और पांडवों की पूरी सेना को समाप्त कर सकते थे।* युद्ध के मैदान में *भीम पौत्र बर्बरीक*(भीम पुत्र घटोत्कच का पुत्र) दोनों खेमों के मध्य बिन्दु एक पीपल के वृक्ष के नीचे खड़े हो गए और यह घोषणा कर डाली कि मैं *उस पक्ष की तरफ से लडूंगा जो हार रहा होगा।* बर्बरीक की इस घोषणा से कृष्ण चिंतित हो गए।✍
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🌹भीम के पौत्र बर्बरीक के समक्ष जब अर्जुन तथा भगवान श्रीकृष्ण उसकी वीरता का चमत्कार देखने के लिए उपस्थित हुए* तब बर्बरीक ने अपनी वीरता का *छोटा-सा नमूना मात्र* ही दिखाया। *कृष्ण ने कहा कि यह जो वृक्ष है इसके सारे पत्तों को एक ही तीर से छेद दो तो मैं मान जाऊंगा।* बर्बरीक ने आज्ञा लेकर तीर को वृक्ष की ओर छोड़ दिया।✍
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🌹जब तीर एक-एक कर सारे पत्तों को छेदता जा रहा था उसी दौरान एक पत्ता टूटकर नीचे गिर पड़ा। कृष्ण ने उस पत्ते पर यह सोचकर पैर रखकर उसे छुपा लिया की यह छेद होने से बच जाएगा, लेकिन सभी पत्तों को छेदता हुआ वह तीर कृष्ण के पैरों के पास आकर रुक गया।* तब बर्बरीक ने कहा कि *प्रभु आपके पैर के नीचे एक पत्ता दबा है कृपया पैर हटा लीजिए, क्योंकि मैंने तीर को सिर्फ पत्तों को छेदने की आज्ञा दे रखी है आपके पैर को छेदने की नहीं।✍
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🌹उसके इस चमत्कार को देखकर कृष्ण चिंतित हो गए। भगवान *श्रीकृष्ण यह बात जानते थे कि बर्बरीक प्रतिज्ञावश हारने वाले का साथ देगा।* यदि कौरव हारते हुए नजर आए तो फिर पांडवों के लिए संकट खड़ा हो जाएगा और यदि जब पांडव बर्बरीक के सामने हारते नजर आए तो फिर वह पांडवों का साथ देगा। *इस तरह वह दोनों ओर की सेना को एक ही तीर से खत्म कर देगा।✍
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🌹तब भगवान *श्रीकृष्ण ब्राह्मण का भेष बनाकर सुबह बर्बरीक के शिविर के द्वार पर पहुंच गए और दान मांगने लगे।* बर्बरीक ने कहा- मांगो ब्राह्मण! क्या चाहिए? *ब्राह्मणरूपी कृष्ण ने कहा कि तुम दे न सकोगे।* लेकिन बर्बरीक कृष्ण के जाल में फंस गए और *कृष्ण ने उससे उसका शीश मांग लिया।✍
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🌹बर्बरीक द्वारा अपने पितामह पांडवों की विजय हेतु स्वेच्छा के साथ शीशदान कर दिया गया। ••बर्बरीक के इस बलिदान को देखकर दान के पश्चात श्रीकृष्ण ने बर्बरीक को *कलियुग में स्वयं के नाम से पूजित होने का वर* दिया। आज *बर्बरीक को खाटू श्याम के नाम से पूजा जाता है।* जहां कृष्ण ने उसका शीश रखा था उस स्थान का नाम खाटू है। *बर्बरीक की इच्छा के अनुसार* भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें *१* अपना विराट स्वरूप दिखाया और *२.* पूरे युद्ध को देखने की इच्छा जताई तो श्री कृष्ण ने शीश दान लेकर पुनः अमृत से जीवन दान देकर युद्ध भूमि में सबसे ऊंचे टीले पर रख दिए जहां से बर्बरीक ने महाभारत युद्ध पूरा देखा। युद्ध उपरान्त जब पांडवो में इस बात को लेकर विचार हो रहा था कि *युद्ध में किसने ज्यादा पराक्रम दिखाया* (भीम/अर्जुन ने),तो वे इसका उत्तर लेने श्री कृष्ण जी के पास गए। *श्री कृष्ण ने कहा कि इस बात का फैसला तो वही दे सकता है जिसने पूरा युद्ध अपनी आंखो से देखा हो।* तब पांडवों ने कहा कि ••किसने देखा पूरा युद्ध। *श्री कृष्ण ने कहा कि बर्बरीक।* जब सभी बर्बरीक के पास इस प्रश्न का जवाब पूछने गए तो बर्बरीक ने कहा *इस पूरे युद्ध में सिर्फ श्री कृष्ण जी अपने सुदर्शन चक्र के द्वारा हर व्यक्ति को उसके कर्म के अनुसार दंडित कर रहे थे।* यह उत्तर सुनकर सारे पांडवों का सिर श्री कृष्ण के समक्ष लज्जा से झुक गया।✍
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🌹संकलनकर्ता : प्रवेश श्रीवास्तव 8269953333🌹✍
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